यमदूत ने कहा वाकई तुम्हारे साथ बहुत बुरा हुआ, चलो तुम भी अन्दर चले जाओ!
4.
कुछ कम ऊंची आवाज में उसने हाथ हिलाकर उत्तर दे दिया, यहां जरूरी का भी बाप रखा है, जी! तुम ऊपर चले जाओ! वह आदमी लौट गया।
5.
उन नए प्रश्ों से मुक्त होने की राह तो यही है-वर्तमान में जो चल रहा है, उसके अनुसार पूरी निष्ठा और सघनता के साथ अच्छे कर्म को बिना फल की चिन्ता के किए चले जाओ! बस, यही तुम्हारा अधिकार है।